IPO Kya Hota Hai: IPO यानि Initial Public Offering जब कोई कंपनी पहली बार स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होना चाहती है तो वह IPO लेकर आती है | IPO जरिए कंपनी बिज़नेस को बढ़ाने, कर्ज चुकाने, नए प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए फण्ड (Fund) जुटाती है | मतलब IPO लाने के बाद कंपनी Private से Public Company बन जाती है।
Table of Contents
IPO क्या है?
IPO मतलब जब कोई Private कंपनी पहली बार अपने शेयर public को बेचती है और खुद को स्टॉक एक्सचेंज (जैसे NSE, BSE) पर लिस्ट होती है। तो उस प्रक्रिया को IPO कहते हैं। IPO सफल होने के बाद कंपनी Private Company से Public Company बन जाती है।
IPO का Example
मान लीजिए आपके पास एक छोटा जूस का बिज़नेस है।जिसका नाम आपने “Taaza Juice ” रखा |
अभी तक अपने इसमें अपना पैसा लगाया है और जूस का बिज़नेस बढ़िया चल रहा है
अब आप इस जूस बिज़नेस को बड़ा करना चाहते हैं | जिसमे नई मशीनें लगानी हैं, और पुरे भारत में बेचना है। तो इसके लिए आपको ज्यादा पैसे की ज़रूरत है।
तो आप पैसे जुटाने के लिए आप तय करते हो कि –
मैं अपने बिज़नेस के छोटे-छोटे हिस्से (Shares) आम जनता को बेच दूँ।इसे जो भी लोग ये शेयर खरीदेंगे, वे आपके बिज़नेस के छोटे-छोटे पार्टनर (Owner) बन जाएंगे।
और आप अपना 5% या 10% हिस्सा IPO के जरिए बेचकर 50 करोड़ रूपए जुटाएगें | जिससे इस जूस बिज़नेस का एक्सपेंशन पुरे भारत में कर पाए | तो यही प्रक्रिया IPO कहलाती है।
IPO का Full Form
IPO का फुल फॉर्म Initial Public Offering है |
IPO क्यों लाया जाता है? (Objectives of IPO)
आईपीओ के जरिए जुटाए किए गए फंड्स को कंपनी अपनी अपने अलग-अलग कामों में लगाती है
- नया फण्ड जुटाना (Raising Capital): कंपनी अपनी बिज़नेस को बढ़ाने, नए प्रोजेक्ट लाने या R&D में खर्च करने के लिए।
- कर्ज चुकाना (Debt Repayment): पहले से लिए गए Loans/ Debts को चुकाने के लिए।
- Business Expansion: नए शहरों/देशों में बिज़नेस को फैलाने के लिए।
- Public Participation: कंपनी common लोगों को भी मालिकाना हक (Ownership) देना चाहती है।
- Brand Value बढ़ाना: कंपनी लिस्टेड होने से Reputation और Trust बढ़ता है।
IPO के Types (प्रकार)
आईपीओ मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते है |
Fixed Price Issue
इसमें शेयर का दाम पहले से तय होता है जैसे IPO में किसी कंपनी के शेयर का प्राइस ₹100 फिक्स किया है, तो सभी निवेशक ₹100 पर ही खरीदेंगे।
Book Building Issue
इसमें शेयर का प्राइस बैंड (Price Band) दिया जाता है जैसे ₹100–₹120 तो कोई भी निवेशक इन प्राइस बैंड के बीच कोई भी प्राइस पर अपनी बोली (Bidding) लगा सकता है और फिर Demand के हिसाब से Final Price तय होता है।
IPO Process (प्रक्रिया)
कंपनी को IPO लाने के लिए एक बहुत लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है इन्हें स्टेप बई स्टेप समझें
- स्टेप 1: आईपीओ लाने के लिए सबसे पहले कंपनी का बोर्ड IPO का निर्णय लेता है।
- स्टेप 2: उसके बात कंपनी Merchant Banker (Lead Manager), Legal Advisors, Underwriters, Registrars, Auditors को नियुक्त करती है। ये लोग IPO प्रक्रिया को सही तरीके से पूरा करने में मदद करते हैं।
- स्टेप 3: Company अपनी फाइनेंसियल, बिज़नेस मॉडल और रिस्क फैक्टर की जानकारी DRHP में देती है।
- स्टेप 4: कंपनी और Merchant Banker मिलकर Price Band तय करते हैं।
- स्टेप 5: SEBI से मंजूरी के बाद Final Prospectus को Registrar of Companies (ROC) में जमा किया जाता है।
- स्टेप 6: IPO का Price Band और Lot Size तय की जाती है।
- स्टेप 7: निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रचार किया जाता है।
- स्टेप 8: इसके बाद 3–5 दिन के लिए पब्लिक सब्सक्रिप्शन ओपन होता है।
- स्टेप 9: अप्लाई किए गए निवेशकों को शेयर अलॉट किए जाते हैं।
- स्टेप 10: जिन निवेशकों को आईपीओ अलॉट नहीं होते उन्हें पैसे Refund कर दीए जाते है और जिनको मिले उनके Demat में शेयर क्रेडिट।
- स्टेप 11: और अंत में शेयर NSE/BSE पर लिस्ट हो जाते हैं।
IPO में निवेश करने के फायदे
आईपीओ में निवेश करने से आपको तुरंत मुनाफा, पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन और इत्यादि चीजों के फायदें मिलते है|
लिस्टिंग गेन (Listing Gain) का फायदा: अगर आईपीओ शेयर लिस्ट होते ही ऊँचे प्राइस पर खुला तो मुनाफा तुरंत मिल सकता है।
अच्छी कंपनी में शुरुआती निवेश: यदि कंपनी ग्रोथ वाली है तो शुरुआती स्टेज पर निवेश करने का मौका मिलता है।
दीर्घकालिक रिटर्न (Long-Term Return): कई आईपीओ शेयर को आपने लंबे समय तक होल्ड करने पर बहुत अच्छा रिटर्न देते हैं।
पारदर्शिता (Transparency): IPO लाने से पहले कंपनी को अपने बिज़नेस का Financial Data, Risk Factors, Business Model सब disclose करना पड़ता है।
कम प्राइस पर निवेश (Low Price Investment): स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने से पहले अक्सर IPO का प्राइस भाव कम होता है।
Portfolio Diversification: नए सेक्टर और कंपनियों में निवेश करके अपने पोर्टफोलियो को मजबूत किया जा सकता है।
निवेशकों के लिए आसान प्रक्रिया: आप अपने मोबाइल से UPI या ASBA के जरिए घर बैठे आसानी से आवेदन किया जा सकता है।
IPO में निवेश के जोखिम (Risks)
Listing Loss का खतरा: कई बार IPO के खराब प्रदर्शन के कारण बहुत कम प्राइस पर लिस्टिंग होता है जिससे निवेशक को नुकसान उठाना पड़ता है |
Overvaluation Risk (ज़्यादा दाम लगना): कई बार कंपनी वैल्यूएशन ज्यादा रखती है, जिससे बाद में रिटर्न कम या निगेटिव हो सकता है।
सीमित जानकारी: नई कंपनी होने के कारण बहुत कम जानकारी उपलब्ध होता है, जिससे सही आकलन करना मुश्किल होता है।
Market Volatility का असर: अगर IPO लिस्टिंग के दिन Market गिरने (ग्लोबल क्राइसिस या किसी बुरी खबर) पर शेयर भी गिर सकता है।
शेयर मिलने की गारंटी नहीं: अक्सर IPO oversubscribed होने पर Retail Investors को शेयर नहीं मिल पाता।
प्रोमोटर्स के लिए Lock-in Period: प्रोमोटर्स या एंकर इन्वेस्टर अगर लॉक-इन-पीरियड के बाद शेयर बेचते है तो शेयर की कीमत गिर सकता है।
Liquidity Risk (तरलता का जोखिम): अक्सर छोटे IPOs में लिस्टिंग के बाद ट्रेडिंग वॉल्यूम बहुत कम होता है। जिससे बाद में शेयर बेचना मुश्किल हो जाता है |
लम्बे समय में अनिश्चित प्रदर्शन: बहुत सरे IPOs लिस्टिंग के दिन अच्छा प्रदर्शन करते है लेकिन बाद में कमजोर बिज़नेस मॉडल, कमाई का न बढ़ना या मार्केट ट्रेंड बदलने के कारण शेयर का दाम गिर जाता है।
सही IPO कैसे चुने ?
Company की Background और Business Model समझें
- कंपनी किस सेक्टर में काम करती है
- क्या बिज़नेस बिज़नेस मॉडल मजबूत और टिकाऊ है या सिर्फ ट्रेंड पर आधारित है?
- क्या बजार में उस कंपनी का प्रोडक्ट/सर्विस की Demand लंबे समय तक बनी रह सकती है?
Financial Performance देखें
- IPO कंपनी का पिछले सालों का Revenue, Profit, Debt और Growth Rate देखें।
- अगर कंपनी लगातार Loss में है, तो सावधानी बरतें।
- मुनाफा कमाने (Profit-making) वाली और कम कर्ज (Low Debt) वाली कंपनी बेहतर होती है।
IPO फण्ड के इस्तमाल को समझें
मतलब IPO से जुटाया पैसा कहाँ इस्तमाल हो रहा है
- कंपनी के विस्तार के लिए जैसे नई मशीन लगाना, फैक्ट्री सेटअप करना आदि | ✅
- पुराने कर्ज का चुकाने के लिए (Debt Repayment) ✅
- या सिर्फ प्रोमोटर्स के कंपनी से एग्जिट (Exit) लेने के लिए ❌
Valuation और Price Band चेक करें
- IPO का प्राइस या वैल्यूएशन ज्यादा तो नहीं रखा गया है ?
- P/E Ratio, Industry P/E और Peer Companies से तुलना जरूर करें। ताकि पता चले की ऐसी same कंपनी का क्या प्रदर्शन है |
- अगर आईपीओ बहुत ज्यादा Overvalued है तो Listing Gain कम मिल सकता है।
Promoter Holding & Management Quality देखें
IPO के बाद Promoters का Stake की कितना है| जितना ज़्यादा उतना भरोसामंद और अगर कम Holding तो Promoter Interest कम हो सकता है।
साथ ही देखें कि Management की Market Reputation कैसी है, और कहीं पहले से Legal/Corporate Governance Issues तो नहीं हैं।
Industry & Sector Outlook
आप जिस भी आईपीओ कंपनी में निवेश करना चाहते है देखे की वो Sector Grow कर रहा है या नहीं | जैसे IT, Digital, Pharma, Renewable Energy वाली कंपनी High Growth Sectors है
GMP जरूर चेक करें
GMP बताता है कि Market में IPO का Demand कितना है।
उदाहरण: अगर किसी आईपीओ का Issue Price ₹100 है और GMP ₹50 चल रहा है, तो Listing Price ₹150 हो सकता है।
नोट: लेकिन ध्यान रहें की GMP Unofficial है, सिर्फ Idea के लिए देखें, Decision का Base न बनाएं।
IPO से जुड़े ज़रूरी Terms
Term | Description |
---|---|
Issuer | वह कंपनी या फर्म जो अपनी पूंजी जुटाने के लिए जनता को शेयर जारी करती है। |
Underwriter | बैंक, वित्तीय संस्था, या Merchant Banker जो IPO में कंपनी की मदद करता है और अगर सारे शेयर न बिकें तो बाकी खुद खरीदने का वादा करता है। |
Fixed Price IPO | वह IPO जहाँ शेयरों का दाम पहले से तय कर दिया जाता है और निवेशक उसी तय दाम पर खरीदते हैं। |
Price Band | एक Range (Upper & Lower Limit) जिसमें निवेशक बोली लगा सकते हैं। इससे शेयर का Final Price तय होता है। |
Draft Red Herring Prospectus (DRHP) | SEBI को जमा किया गया Document जिसमें कंपनी के बिज़नेस, Financials और IPO से जुड़ी जानकारी होती है। |
Under Subscription | जब IPO में जितने शेयर ऑफर किए गए हैं, उससे कम आवेदन आते हैं। |
Over Subscription | जब IPO में जितने शेयर ऑफर किए गए हैं, उससे कहीं ज्यादा आवेदन आते हैं। |
Green Shoe Option | एक Over-Allotment Option, जिससे Underwriter कंपनी की तय संख्या से ज़्यादा शेयर बेच सकता है, अगर Demand ज्यादा हो। |
Book Building | वह प्रक्रिया जिसमें Institutional Investors से बोली ली जाती है और उनके आधार पर IPO का Final Price तय होता है। |
Flipping | IPO के शेयर लिस्टिंग के तुरंत बाद बेच देना ताकि जल्दी मुनाफा कमाया जा सके। |
IPO कहाँ देखें
Stock Exchanges की Official Website जैसे NSE या BSE यहाँ पर Upcoming IPO, Current IPO, और Allotment Details मिल जाते हैं।
IPO Registrar की Website पर जैसे KFintech, Link Intime यहाँ पर आप IPO Allotment Status आसानी से चेक कर सकते हैं।
स्टॉक ब्रोकर एप्प या वेबसाइट पर जैसे Zerodha (Kite / Console), Groww, Upstox, Angel One इन Apps में Upcoming IPO Calendar, Apply Option और Allotment Status मिलता है।
Financial News & IPO Portals जैसे Moneycontrol, Chittorgarh, IPO Watch यहाँ पर Detailed IPO Analysis, Grey Market Premium (GMP) और Expert Reviews मिलते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
IPO में निवेश करना आकर्षक होता है क्योंकि इसमें Listing Gain और Long-Term Wealth का अवसर मिलता है, लेकिन ध्यान रहें की इसमें Loss और Volatility जैसे जोखिम भी मौजूद हैं। इसलिए निवेशक को हमेशा कंपनी के फाइनेंसियल स्थिति, बिज़नेस मॉडल और वैल्यूएशन को अच्छी तरह समझ के ही निवेश करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
IPO क्या है और यह क्यों लाया जाता है?
IPO (Initial Public Offering) वह प्रक्रिया है जिसमें कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर जनता को बेचकर फंड जुटाती है।
IPO में आवेदन करने के लिए क्या-क्या चाहिए?
Demat Account, Trading Account, PAN Card और बैंक अकाउंट ज़रूरी है।
IPO में Minimum Investment कितना होता है?
Minimum Investment 1 Lot होता है। Lot Size हर IPO में अलग-अलग होता है।
Cut-off Price क्या होता है?
यह वह Final Price है जिस पर शेयर अलॉट होते हैं। Retail Investors को Cut-off Option चुनना चाहिए।
IPO का Allotment कैसे पता करें?
IPO Allotment Status NSE/BSE की वेबसाइट या IPO Registrar (KFintech, Link Intime आदि) से ऑनलाइन चेक कर सकते हैं।
IPO में Oversubscription होने पर शेयर कैसे मिलते हैं?
IPO में Oversubscription होने पर Retail Investors के लिए Lottery System लागू होता है।
IPO से Refund कितने दिन में मिलता है?
अगर अलॉटमेंट नहीं होता तो 2–3 Working Days में पैसा Unblock हो जाता है।
IPO Listing कब होती है?
IPO बंद होने के बाद आमतौर पर T+3 वर्किंग डेज़ में लिस्टिंग होती है।
IPO से पैसे कैसे कमाए जा सकते हैं?
IPO से दो तरीके से पैसे कैसे कमाए जा सकते हैं
पहला Listing Gain – लिस्टिंग के दिन शेयर बेचकर तुरंत मुनाफा।
दूसरा Long-Term Investment – कंपनी ग्रोथ से लंबे समय में लाभ।
IPO में Risk क्या होते हैं?
ज्यादा वैल्यूएशन, लिस्टिंग में नुकसान, मार्केट वोलैटिलिटी और छोटे कंपनियों धोखाधड़ी का जोखिम भी रहता है |
Mainboard IPO और SME IPO में क्या फर्क है?
Mainboard IPO बड़ी और Established कंपनियाँ होती है, जबकि SME IPO छोटे और मझोले आकार की कंपनियों का।
क्या हर किसी को IPO में निवेश करना चाहिए?
नहीं। IPO High Risk–High Reward होते हैं। निवेश करने से पहले Company के Financials और Business Model देखना ज़रूरी है।