PE Ratio Kya Hota Hai ? प्रकार, जरूरत, कैसे निकालें, कितना होना चाहिए उदाहरण से समझें

PE Ratio Kya Hota Hai: स्टॉक मार्किट में P/E Ratio एक बहुत जरुरी रेश्यो है जो हमें बताता है की किसी कंपनी का शेयर उसकी कमाई Earnings Per Share (EPS) के मुकाबले महँगा है या सस्ता है | अगर P/E High है तो कंपनी आगे चलकर अच्छा ग्रोथ करेगी | और अगर P/E Low है तो शेयर undervalued हो सकता है या growth कमज़ोर है।

Table of Contents

P/E Ratio का फार्मूला

\text{P/E Ratio} = \frac{\text{Price per Share}}{\text{Earnings per Share}}

P/E Ratio क्या है ?

P/E Ratio हमें यह बताता है की कंपनी का शेयर उसकी कमाई (Earnings) के मुकाबले कितना महँगा है या सस्ता है | मतलब कि कंपनी की Investors कंपनी की हर ₹1 की कमाई (EPS) के लिए कितना पैसा शेयर के रूप में दे रहे हैं।

सिंपल शब्दों में P/E बताता है कि शेयर महँगा (Overvalue) है या सस्ता (Undervalue), और investors को कंपनी से growth की कितनी उम्मीद है।

मुख्य रूप P/E Ratio का उपयोग एक ही सेक्टर के अलग-अलग कंपनियों का तुलना करके यह पता करते है की इस सेक्टर में कौन सी कंपनी सस्ती या महँगी है और किसे सही दाम पर खरीदें |

मान लीजिए किसी कंपनी का शेयर प्राइस = ₹200 और EPS = ₹20 तो

P/E = \frac{200}{20} = 10

मतलब: निवेशक कंपनी की ₹1 कमाई के लिए ₹10 देने को तैयार हैं।

P/E Ratio का Examples

उदाहरण 1:

मान लीजिए एक कंपनी का शेयर प्राइस = ₹200 और उसका EPS (Earnings Per Share) = ₹20 तो

P/E = \frac{200}{20} = 10

यहाँ इस कंपनी का P/E = 10 है जिसका मतलब की Investor कंपनी की ₹1 की कमाई के लिए ₹10 देने को तैयार हैं

उदाहरण 2:

कंपनी A: जिसका शेयर प्राइस ₹500 और EPS = ₹25

P/E = \frac{500}{25} = 20

कंपनी A: जिसका शेयर प्राइस ₹300 और EPS = ₹30

P/E = \frac{300}{30} = 10

यहाँ कंपनी A का P/E = 20 (महँगी लग रहा है), जबकि कंपनी B का P/E = 10 (सस्ती लग रही है)।
लेकिन यह जरूरी नहीं कि B बेहतर हो — हो सकता है A में ज्यादा growth की संभावना हो।

PE का Full Form क्या है ?

P/E रेश्यो का फुल फॉर्म Price to Earnings Ratio (प्राइस-टू-अर्निंग्स रेशियो) है

PE Ratio कैसे निकालें ?

  • स्टेप 1: P/E रेश्यो निकलने के लिए पहले आपको EPS निकालना होगा |
  • स्टेप 2: Market Price per Share पता करें
  • स्टेप 3: Formula में डालें
P/E = \frac{\text{Current Share Price}}{\text{EPS}}

PE Ratio कितने प्रकार के होतें है ?

P/E रेश्यो मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते है

PE Ratio kitne prakar ke hote hai examples in hindi

Trailing P/E क्या होता है ?

Trailing P/E का मतलब पिछले 12 महीनों के EPS के आधार पर कंपनी का Price-to-Earnings Ratio। इसे Historical P/E भी कहते हैं।

उदाहरण: मान लीजिए किसी कंपनी का शेयर प्राइस ₹500 है और पिछले 12 महीनों का EPS = ₹25 है तो

\text{Trailing P/E} = \frac{500}{25} = 20

इसका मतलब है कि निवेशक कंपनी की हर ₹1 की कमाई के लिए ₹20 देने को तैयार है। पिछले 12 महीनों को कमाई को देखतें हुए |

यह भी पढ़े:

Forward P/E क्या होता है ?

Forward P/E यह आने वाले 12 महीनों (Next 4 Quarters) की Estimated EPS (अंदाज़े वाली कमाई) के आधार पर निकाला जाता है।

उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी कंपनी का शेयर प्राइस अभी ₹500 है और अगले 12 महीनों का अनुमानित EPS = ₹30 है |

\text{Forward P/E} = \frac{500}{30} \approx 16.7

मतलब: निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि कंपनी की कमाई बढ़ेगी, इसलिए Future में शेयर थोड़ा सस्ता लगेगा (कम P/E)।

Absolute P/E क्या होता है ?

इसमें हम सीधे-सीधे किसी कंपनी का P/E Ratio निकालते हैं बिना किसी Adjustments या Comparisons के, तो उसे Absolute P/E कहते हैं। इसका इस्तमाल सिर्फ एक कंपनी की Valuation देखने में काम आता है।

उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी कंपनी का शेयर प्राइस = ₹600 और EPS (पिछले 12 महीनों का) = ₹30 है |

\text{Absolute P/E} = \frac{600}{30} = 20

मतलब: कंपनी का शेयर 20 गुना उसकी कमाई पर ट्रेड हो रहा है।

Relative P/E क्या होता है ?

Relative P/E मतलब किसी कंपनी के Absolute P/E को किसी Benchmark (जैसे Index, Sector Average, या Market Average) से Compare करना।

  • अगर Infosys Absolute P/E = 20
  • Nifty IT Index का Average P/E = 25

तो हम कह सकते है की Infosys सेक्टर की तुलना में 20% सस्ती यानि (Undervalued) है |

CAPE Ratio क्या होता है ?

CAPE Ratio बताता है की कि शेयर मार्केट (या कोई कंपनी) अपनी लंबी अवधि (10 साल) की औसत कमाई के मुकाबले कितनी महँगी या सस्ती है।

P/E ratio क्यों महत्वपूर्ण है?

कंपनी का वैल्यूएशन मापने के लिए : अगर P/E Ratio बहुत उच्च (High) है तो शेयर महँगा हो सकता है। और अगर P/E Ratio बहुत कम (Low) है तो शेयर सस्ता हो सकता है। यानि कुल मिलकर P/E ratio बताता है की कंपनी अपनी कमाई की तुलना में Overvalued या Undervalued है |

अलग-अलग कम्पनियों को compare करने के लिए: एक ही सेक्टर्स (Sectors) की अलग-अलग कंपनियों के P/E Compare करके समझा जा सकता है कि कौन महँगा है और कौन सस्ता।

कंपनी के ग्रोथ (Growth) को समझने के लिए: High P/E मतलब मार्केट या निवेशक को उम्मीद है कि कंपनी का Future Growth अच्छा होगा। वही Low P/E मतलब Growth की ज्यादा उम्मीद नहीं है या कंपनी में निवेश करना जोखिम (Risky) है।

निवेश निर्णय लेने के लिए: निवेशक अक्सर ऐसे शेयर या कंपनी चुनते हैं जिनका P/E सेक्टर या इंडेक्स के मुकाबले आकर्षक (lower) हो और Growth potential भी strong हो।

High P/E रेश्यो का क्या मतलब होता है ?

अगर किसी कंपनी का P/E Ratio ज़्यादा (High) है तो उसका मतलब है की कंपनी भविष्य में अच्छा profit और growth देगी, इसलिए लोग आज ज्यादा पैसा देने को तैयार हैं।

  • Investor ज़्यादा पैसे देने को तैयार हैं। यही कंपनी का (P/E = 50) है तो Investor ₹1 की कमाई के लिए ₹50 दे रहे हैं।
  • आमतौर पर High P/E वाली कंपनियों से उम्मीद होती है कि उनकी Future Growth बहुत Strong होगी | जैसे IT, FMCG, Pharma सेक्टर में High P/E देखा जाता है।
  • हर High P/E रेश्यो अच्छी चीज़ नहीं होती। कभी-कभी शेयर महँगा (Overvalued) भी हो सकता है, और Growth भी उतनी नहीं मिलता ।

नोट: High P/E हमेशा अच्छा नहीं होता हो सकता है शेयर महँगा और risky हो।

Low P/E रेश्यो का क्या मतलब होता है ?

Low P/E रेश्यो का मतलब होता है की Company सस्ती (Undervalued) है, या फिर उसके Business में दिक्कत है और Investor Growth पर भरोसा नहीं कर रहे | जिससे P/E रेश्यो low हो जाता है |

  • सस्ता शेयर (Undervalued): मतलब निवेशक उस कंपनी की 1 रुपये की कमाई (EPS) के लिए कम पैसे दे रहे हैं।अगर P/E = 8 है तो Investor ₹1 की कमाई के लिए सिर्फ ₹8 दे रहे हैं।
  • Growth की उम्मीद कम: Low P/E वाली कंपनियों से Market को भविष्य में ज्यादा Growth की उम्मीद नहीं दिखती जैसे PSU Banks, Metal companies, या Traditional Industries में P/E कम होता है।
  • Risk या Problem: कभी-कभी P/E Low होने का कारण यह भी होता है कि कंपनी की earnings गिर रही हैं या business risky है।

नोट: हमेशा Low P/E रेश्यो का मतलब नहीं की कंपनी Undervalue या बेकार है यदि future में Growth strong है → तो ये Golden Opportunity हो सकती है।

सही PE Ratio क्या होता है ?

एक सही P/E रेश्यो कई factors पर निर्भर करता है। हर कंपनी, सेक्टर और देश के हिसाब से “सही” P/E अलग होता है।

सेक्टर / कंपनी का प्रकारसामान्य P/E Rangeक्यों?Example Companies
PSU Banks / Traditional Industries8 – 15Growth slow, risk ज्यादाSBI, Coal India
Private Banks / Financials12 – 20Moderate growth, stable earningsHDFC Bank, ICICI Bank
IT / Pharma18 – 30Good growth, export focusInfosys, TCS, Sun Pharma
FMCG (Consumer Goods)35 – 70Strong brand, stable demandHUL, Nestle, Dabur
High Growth / Tech Startups50+ या Negative (कभी-कभी)Future growth expectations highZomato, Paytm

सही P/E कैसे तय करें?

सही P/E रेश्यो देखने के लिए आपको कंपनी का P/E उसके Growth Rate, Sector Average और Market Average से मिलाकर देखना चाहिए। मान लीजिये

  • अगर कंपनी का P/E < (कम है ) Sector P/E और Growth अच्छी है – सस्ता (Undervalued)।
  • अगर कंपनी का P/E > (ज्यादा है ) Sector P/E है – तभी सही है अगर Growth भी ज्यादा हो, नहीं तो Overvalued।

Sector PE या industry PE क्या होता है?

Sector P/E मतलब किसी सेक्टर (जैसे IT, Banking, FMCG) की सभी कंपनियों के P/E Ratios का Weighted Average है जो बताता है कि पूरा सेक्टर (या Industry) अपनी कमाई (Earnings) के मुकाबले कितना महँगा या सस्ता है।

आसान भाषा में कहे तो Sector P/E एक “औसत माप” है जिससे पता चलता है कि कोई कंपनी अपने पूरे Industry के हिसाब से महँगी है या सस्ती

उदाहरण के लिए:

CompanyP/E
Parle20
Britannia25
Sunfeast30

Sector Average निकालें जैसे (20+25+30)÷3=25,

मतलब Biscuit Sector का Sector P/E = 25, अब Compare करते है

  • Parle का P/E = 20 < Sector P/E (25) – मतलब Parle कंपनी सस्ती मानी जाएगी अपने सेक्टर के मुकाबले वही
  • Britannia का P/E = 25 = Sector P/E – Fairly Valued
  • Sunfeast का P/E = 30 > Sector P/E (25) – महँगी मानी जाएगी

PE Ratio कहाँ से चेक करें ?

P/E Ratio आप NSE India, BSE India, Moneycontrol, Screener.in या Company की Annual Report में भी EPS और Net Profit लिखा होता है। Formula से आप खुद भी P/E निकालकर चेक कर सकते हैं |

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

PE Ratio क्या होता है?

P/E Ratio बताता है कि Investor किसी कंपनी की प्रति शेयर कमाई (EPS) के लिए कितना Pay करने को तैयार है

PE Ratio कैसे निकालते हैं?

P/E रेश्यो निकलने के लिए आपको पहले EPS निकालें और फिर Current Share Price​
P/E फार्मूला : P/E = Current Share Price/EPS

High PE Ratio का मतलब क्या है?

High P/E रेश्यो का मतलब होता है की Investor को कंपनी से High Growth की उम्मीद है। या फिर शेयर Overvalued हो सकता है।

Low PE Ratio का मतलब क्या है?

निवेशकों को यह लगता है की Company सस्ती (Undervalued) है, या फिर उसके Business में दिक्कत है और Investor कंपनी के Growth पर भरोसा नहीं कर रहे।

Sector PE क्या होता है?

Sector P/E बताता है कि पूरा सेक्टर (या Industry जैसे IT, Banking, FMCG आदि) अपनी कमाई (Earnings) के मुकाबले कितना महँगा या सस्ता है।

सही P/E Ratio कितना होना चाहिए?

कोई सही P/E Ratio नहीं होता ये कई factors पर निर्भर करता है। हर कंपनी, सेक्टर और देश के हिसाब से “सही” P/E अलग होता है। लेकिन सही P/E Ratio जानने के लिए आप कंपनी का P/E उसके Growth Rate, Sector Average और Market Average से मिलाकर देखना चाहिए जिससे आपको कंपनी के बारे में और आईडिया मिलें |

P/E Ratio कहाँ देखें?

P/E Ratio आप Moneycontrol, Screener.in, Yahoo Finance या जैसे finance portals पर चेक कर सकते है |

क्या Negative P/E हो सकता है?

हाँ। अगर कंपनी को Loss हो रहा है (Negative EPS) तो P/E भी Negative या “Not Applicable (NA)” दिखेगा।

P/E Ratio क्यों Important है?

P/E रेश्यो हमें निवेश निर्णय लेने में मदद करता है जिससे हम समझ सकते है की कंपनी Overvalued या Undervalued है,

सिर्फ P/E देखकर निवेश करना सही है?

जी नहीं, P/E एक बढ़िया फाइनेंसियल रेश्यो है कंपनी को जानने के लिए लेकिन इसके अलावा आपको कंपनी के कर्ज, ग्रोथ, सेक्टर ट्रेंड, मैनेजमेंट क्वालिटी भी देखना चाहिए | जिससे आप ओवरआल कंपनी को समझ पाए |

Leave a Comment