Primary Aur Secondary Market क्या होता है? कैसे निवेश करें ? प्रकार, फायदे आदि

Primary aur Secondary Market in Hindi: जब किसी कंपनी को अपना बिज़नेस को बढ़ाना होता है यह पैसों की जरूरत होता है तो वह सबसे पहले Primary Market में आती है |

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Primary Market क्या होता है ?

जब कोई कंपनी पहली बार जनता (Public) को नए शेयर या सिक्योरिटीज़ (जैसे शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर) बेचती है ताकि वह पूंजी (Capital) जुटा सके, तो यह लेनदेन Primary Market में होता है। प्राइमरी मार्किट को हम New Issue Market भी कहते हैं।

इसमें कंपनी के द्वारा नए शेयर जारी होते हैं। ये नए शेयर्स सीधे पब्लिक या बड़े निवेश खरीदतें है जिससे कंपनी के पास पैसा आता है | इसका सबसे बड़ा उदाहरण है IPO (Initial Public Offering) । आईपीओ के जरिए कोई भी कंपनी पहली बार स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होती है जिसे हम प्राइमरी मार्किट कहते है |

उदाहरण: मान लीजिए Hariom Pvt Ltd एक कंपनी है जो स्पीकर बनती है | अब बिज़नेस बड़ा करने के लिए कंपनी को पैसों की जरूरत है तो ये प्राइमरी मार्केट में जाएगी यानि कंपनी अब 500 Cr का IPO लाएगी | आईपीओ के जरिये कंपनी अपना कुछ हिस्सा पब्लिक को बेचेगी और स्टॉक एक्सचेंज जैसे (BSE या NSE) पर लिस्ट होगी | जिसे पब्लिक ज्यादा दाम पर शेयर को बेचकर फायदा कमाईगी |

इससे कंपनी को बिज़नेस बढ़ाने के लिए फण्ड भी मिला और शरहोल्डर्स को फायदा भी |

Primary Market की विशेषताएँ (Features)

कंपनी नए सिक्योरिटी का Issue: इस मार्केट में सिर्फ नए शेयर या Bonds जारी किए जाते हैं। जैसे : जब LIC ने 2022 में IPO निकाला।

सीधा लेन-देन: प्राइमरी मार्केट में निवेशक सीधे कंपनी से शेयर खरीदता है।

फण्ड जुटाने का साधन: कंपनी प्राइमरी मार्केट से पूंजी जुटाकर बिज़नेस बढ़ा सकती है। जसी की Paytm ने पहली बार IPO से ₹18,300 करोड़ जुटाए थे।

SEBI द्वारा नियामित: हर IPO/FPO SEBI के नियमों के तहत होता है ताकि निवेशक सुरक्षित रहें।

Price Fixation (मूल्य निर्धारण): इसमें शेयर की कीमत या तो Fixed Price Issue (जैसे ₹350 प्रति शेयर फिक्स्ड) होती है या Book Building Issue (जैसे ₹300-₹350 प्रति शेयर )।

One Time Issue: Primary Market में कंपनी सिर्फ तब आती है जब उसे नया फंड जुटाना होता है। यानी कंपनी एक बार शेयर/सिक्योरिटी जारी करती है और पैसा जुटा लेती है।

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Secondary Market क्या होता है ?

जब कोई निवेशक पहले से जारी किए गए शेयर या सिक्योरिटीज़ किसी दूसरे निवेशक से खरीदता या बेचता है, तो यह लेन-देन Secondary Market में होता है। इसे Stock Market भी कहते हैं। यानि स्टॉक मार्केट को हम Secondary Market भी कह सकते है |

  • इसमें पहले से लिस्टेड शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं |
  • इसमें लेन-देन निवेशक और निवेशक के बीच होता है। कंपनी को इस लेन-देन से कोई पैसा नहीं मिलता।
  • Secondary Market का लेन-देन Stock Exchanges (जैसे NSE या BSE) के माध्यम से होता है।

Secondary Market का उदाहरण

NSE पर Infosys, Reliance, TCS जैसे बड़े शेयर ट्रेड होते हैं।

BSE (Bombay Stock Exchange): सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज जहाँ 5000+ कंपनियों के शेयर लिस्टेड हैं।

IRCTC IPO के बाद Secondary Market में निवेशकों ने Multibagger रिटर्न कमाया।

Secondary Market की विशेषताएँ (Features)

यहाँ नई shares issue नहीं होतीं, बल्कि पहले से issue किए गए shares, bonds, debentures आदि की खरीद–बिक्री होती है।

Secondary Market में हाई लिक्विडी होती है जिससे निवेशक कभी भी अपनी security बेचकर उसे cash में बदल सकते हैं। यही secondary market की सबसे बड़ी ताकत है।

SEBI ही जिससे secondary market को regulate करता है। इससे पारदर्शिता और निवेशको का सुरक्षा बना रहता है।

यहाँ शेयर का प्राइस demand और supply पर तय होता है। ये मार्केट न्यूज़, कंपनी के प्रदर्शन और इकोनॉमिक इवेंट्स का बड़ा असर देखने को मिलता है |

Primary Market और Secondary Market में अंतर (Difference)

बिंदुPrimary MarketSecondary Market
परिभाषानए शेयर/सिक्योरिटी पहली बार जारी होते हैंपहले से जारी शेयरों की खरीद-बिक्री होती है
प्रतिभागीकंपनी और निवेशकनिवेशक और निवेशक
पैसा किसे मिलता है?कंपनी कोनिवेशक को (कंपनी को नहीं)
उदाहरणIPO, FPONSE, BSE पर ट्रेडिंग
उद्देश्यकंपनी को फंड जुटानानिवेशक को लिक्विडिटी और मुनाफा कमाना

Primary Market के फायदे

  • बड़े फण्ड का स्रोत: किसी भी कंपनी को अपने Expansion, Projects, और Debt Repayment के लिए पैसा जुटाने का सबसे बड़ा स्रोत है।
  • सार्वजनिक निवेश का अवसर: कोई भी आम निवेशक पहली बार कंपनी का शेयर लेकर Shareholder बन सकता हैं।
  • अर्थव्यवस्था में योगदान: कंपनियों को Growth Capital मिलने से Industry और नौकरियाँ बढ़ती हैं, जिससे Economy मज़बूत होती है।
  • निवेशकों के लिए Wealth Creation: अगर आईपीओ सही तरीके से सफल होता है, तो लिस्टिंग के बाद शेयर का दाम बढ़ सकता है। जिससे निवेश किए गए पैसे कई गुना बढ़ सकते है |
  • विकल्पों की विविधता (Variety of Options): प्राइमरी मार्केट में निवेश करने के कई तरीके जैसे IPO, FPO, Rights Issue, Private Placement होते है |
  • पारदर्शिता और सुरक्षा: सभी कंपनी को Prospectus (एक विस्तृत दस्तावेज़) देना पड़ता है जिसमें उसके बिज़नेस, Financials और Risk Factors लिखे होते हैं। इससे निवेशक को सही जानकारी मिलती है।

Secondary Market के फायदे

Liquidity प्रदान करता है: निवेशक किसी भी समय अपने शेयर्स को असानी से खरीद -बेच सकते है

इस बजार में शेयर का Real Market Value तय होता है।

Wealth Creation का अवसर: शेयर्स का दाम बढ़ने से Wealth Creation का फायदा मिलता है

Diversification का मौका: इस मार्केट में निवेशक अलग-अलग कंपनियों और सेक्टरों में पैसा लगाकर Risk कम कर सकता है।

Primary और Secondary Market में कैसे निवेश करें?

Primary Market में निवेश

  • Demat और Trading Account खोलें: सबसे पहले आपके पास एक Demat Account + Trading Account चाहिए। जैसे Zerodha, Groww, Upstox, Paytm Money या किसी बैंक (HDFC, ICICI, SBI) से खोल सकते हैं।
  • IPO की जानकारी देखें: आने वाले IPO की जानकारी देखें ये आप NSE, BSE या ipowatch.in पर देख सकते हैं। वहाँ Price Band, Lot Size, Issue Date जैसी जानकारी मिलेगी।
  • IPO में Apply करें: Net Banking / UPI के जरिए IPO में Apply करें। ASBA प्रक्रिया में आपके बैंक अकाउंट से पैसा ब्लॉक हो जाएगा (कटेगा नहीं)।
  • Allotment Process: अगर आपके नाम पर शेयर अलॉट हो जाते हैं, तो वे आपके Demat Account में आ जाते हैं।
  • Listing Day पर ट्रेडिंग: अंत में आईपीओ Stock Exchange (NSE/BSE) पर लिस्ट होते हैं और आप उन्हें बेच भी सकते हैं या होल्ड भी कर सकते हैं।

उदाहरण:

Primary Market में निवेश

इसमें निवेश करने के लिए भी आपके पास Demat Account + Trading Account जरूर होना चाहिए।

आप जिस भी कंपनी के शेयर खरीदने हैं (जैसे Reliance, Infosys, TCS), उसका नाम/टिकर Symbol खोजें।

Order Place करें:

  • Buy Order → शेयर खरीदें।
  • Sell Order → शेयर बेचें।
  • आप Intraday (एक ही दिन खरीद-बिक्री) या Delivery (लंबे समय तक रखने) कर सकते हैं।

Settlement Process: इस प्रोसेस का मतलब होता है की शेयर अपने डीमैट अकाउंट में कितने दिनों में आ जायेगें | SEBI के नियम अनुसार अब T+1 Settlement Cycle है। यानी आज खरीदे गए शेयर अगले दिन आपके Demat Account में आ जाते हैं।

Secondary Market में आप अपनी मर्ज़ी से कभी भी शेयर खरीद या बेच सकते हैं।

उदाहरण: अपने Zerodha के जरिए Infosys का शेयर ₹1,500 में खरीदा। और शेयर्स अगले दिन आपके Demat Account में आ गया। 6 महीने बाद आपने वही शेयर ₹1,800 में बेच दिया और मुनाफ़ा कमाया।

Primary Market में आपको IPO के जरिए शेयर्स खरीदने से लेकर बेचने तक लम्बा समय लगता है | और IPO में आपको शेयर मिलेगा या नहीं कोई ठीक नहीं | इसमें आपको 1 हफ़्ता या ज्यादा लग सकता है |

वही Secondary Market में आप किसी डीमैट मोबाइल एप्प या वेबसाइट के जरिए shares तुरंत buy/sell कर सकते है | इसमें 1 या 2 दिन लगता है |

निष्कर्ष (Conclusion)

Primary Market जहाँ कंपनी पहली बार नए शेयर या सिक्योरिटी जारी करती है (जैसे IPO/FPO) । इसके जरिए कंपनी जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल कंपनी अपने बिज़नेस को बढ़ाने, कर्ज़ चुकाने या नए प्रोजेक्ट शुरू करने में करती है । और Secondary Market जहाँ पहले से खरीदें गए शेयरों की रोज़ाना खरीद-बिक्री निवेशकों के बीच होती है। इसके साथ इसमें निवेशकों को Liquidity, Fair Price Discovery और Wealth Creation का मौका मिलता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Primary Market क्या है?

यह वह मार्केट होता है जहाँ कंपनी पहली बार जनता को नए शेयर या सिक्योरिटी जारी करती है, जैसे IPO या FPO के जरिए ।

Secondary Market क्या है?

जिसे पास पहले से किसी कंपनी का स्टॉक या शेयर खरीद रखा है निवेशकों के बीच खरीदे-बेचे जाते हैं।

Primary Market और Secondary Market में मुख्य अंतर क्या है?

Primary Market → कंपनी को फंड मिलता है।
Secondary Market → निवेशकों के बीच ट्रेडिंग होती है और Liquidity मिलती है।

Primary Market में निवेश कैसे करें?

Primary Market में निवेश करने के लिए आपको पहले IPO/FPO में Apply करके (ASBA/UPI के जरिए) → Allotment → Demat Account में शेयर → Listing Day पर Secondary Market में लिस्टिंग।

Secondary Market में निवेश कैसे करें?

इसमें निवेश करने के लिए आपको पहले से लिस्टेड शेयर NSE/BSE पर Broker या Trading App (Zerodha, Groww, Upstox आदि) के जरिए Buy/Sell कर सकते है |

Primary Market में रोज़ाना ट्रेडिंग क्यों नहीं होती?

क्योंकि Primary Market केवल तब एक्टिव होती है जब कोई कंपनी नया Issue लाती है। रोज़ाना का Buy/Sell सिर्फ Secondary Market में होता है।

क्या Primary Market सुरक्षित है?

हाँ, क्योंकि हर कंपनी को SEBI के नियम अनुसार Prospectus जारी करना पड़ता है जिसमें उसके Financials, Risk Factors और Business Details लिखे होते हैं।

Secondary Market का सबसे बड़ा फायदा क्या है?

इसमें सबसे बड़ा फायदा यह है की आप अपने शेयर किसी भी दिन NSE/BSE पर बेचकर तुरंत पैसा बना सकते हैं। यानि आपको इसमें शेयर्स खरीदने और बेचने वाले बहुत जल्दी मिल जाते है |

क्या Primary Market से खरीदे गए शेयर Secondary Market में बेचे जा सकते हैं?

जी हाँ, अगर अपने किसी कंपनी का शेयर IPO के जरिये खरीदा है और आपको IPO अलॉट हो जाता है तो आप उसे बाद में Secondary Market में उन्हें बेच सकते हैं।

क्या दोनों मार्केट में निवेश करना ज़रूरी है?

यह आपके निवेश पर निर्भर करता है |
अगर आप आईपीओ से शुरुआत करना चाहते है तो Primary Market चुनें।
अगर आप पहले से लिस्टेड कंपनियों में नियमित निवेश करना चाहते हैं तो Secondary Market चुनें।

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