Ratio Analysis Kya Hota Hai: अगर आप स्टॉक मार्किट में निवेश करते है तो अपने Ratio Analysis in Stock Market के बारे में सुना होगा | रेश्यो एनालिसिस का इस्तमाल किसी बिज़नेस या कंपनी के नुकसान या फायदें, कर्ज, संसाधनों के उपयोग, शेयर का प्रदर्शन, सही दाम पर शेयर को खरीदने या बेचने के लिए किया जाता है | Ratio Analysis से हमें कंपनी की financial सेहत का पता चलता है |
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Ratio Analysis क्या होता है ?
Ratio Analysis एक वित्तीय (Financial) तकनीक है जिससे हम किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति (Financial Position) को समझते हैं। Ratio Analysis से हमें कंपनी की कमाई, कर्ज़ चुकाने की क्षमता, संसाधनों के उपयोग और भविष्य की स्थिरता के बारे में पता चलता है।
आसान शब्दों में, Ratio Analysis = कंपनी की आर्थिक सेहत की जाँच।
Ratio Analysis की आवश्यकता क्यों होती है ?
Ratio Analysis की जरूरत (Importance) हमें कंपनी या बिज़नेस का फंडामेंटल एनालिसिस समझने के लिए इसके आलावा नुकसान, फायदा, निवेश निर्णय के लिए भी होता है इसे विस्तार से समझें |
- कंपनी की लाभ (Profitability) जानने के लिए: बिज़नेस या कंपनी कितनी कमाई कर रही है और उसका मुनाफ़ा टिकाऊ है या नहीं।
- Short-term क्षमता (Liquidity) जानने के लिए : कंपनी अपने short-term payments (जैसे suppliers, creditors) समय पर चुका पाएगी या नहीं।
- दीर्घकालिक स्थिरता (Solvency) मापने के लिए: कंपनी लॉन्ग – टर्म का कर्ज चुकाने में सक्षम है या नहीं
- कार्यकुशलता (Efficiency) जानने के लिए: यह बताता है कि कंपनी अपने संसाधनों (Resources) (जैसे मशीन, स्टॉक, कैश) का उपयोग कितनी कुशलता से कर रही है।
- Investment Decision के लिए : किसी निवेश को कंपनी में निवेश निर्णय लेने में मदद करता है
- Comparison के लिए: कंपनी की performance को पिछले साल से या competitors से compare किया जा सकता है।
Ratio Analysis के Benefits (फायदे)
- आसान और तेज़ एनालिसिस: रेश्यो एनालिसिस निकालना बहुत असान होता है और इससे तुरंत कंपनी की financial health समझ में आ जाता है।
- कंपनी की कमजोरी और ताकत का पता: इससे हमें Liquidity, Profitability, Solvency जैसे ratios देखकर पता चलता है कि कंपनी कहाँ मजबूत (strong) है और कहाँ कमजोर (Weak) है |
- Decision Making में मदद: निवेशक और कंपनी मैनेजमेंट दोनों को बेहतर financial decisions लेने में मदद करता है।
- Trend Analysis: कई या पिछले के ratios compare करने से यह पता चलता है कि कंपनी सुधार कर रही है या गिरावट में है।
- Investment और Decision Making में सहायक: Ratio Analysis से निवेशक यह decide कर सकता है कि कंपनी में पैसा लगाना उचित है या नहीं। इसके अलावा Management भी ratios की मदद से सुधार की planning कर सकता है।
- तुलना (Comparison) आसान बनाता है: इस फाइनेंसियल रेश्यो की मदद से आप अलग-अलग कंपनियों को आसानी से compare कर सकते हैं, चाहे उनकी size अलग ही क्यों न हो |
- Standard Benchmark से तुलना: Ratios को industry average से मिलाकर यह पता लगाया जा सकता है कि कंपनी average से बेहतर है या कमजोर।
Ratio Analysis की Limitations (सीमाएँ)
Past Data पर आधारित: यह रेश्यो सिर्फ पुराने financial statements से निकलते हैं, इसलिए future performance का सटीक अनुमान नहीं लगाते।
Inflation का असर: बढ़ती महँगाई) ratios को misleading बना सकती हैं।
Ratio Analysis के प्रकार (Types)

Liquidity Ratios
Liquidity Ratios यह दिखाते हैं कि कोई कंपनी अपने अल्पकालिक देनदारियाँ (Short-term Liabilities) समय पर चुका सकती है या नहीं। Liquidity के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण Ratios हैं:
Current Ratio:
Current Ratio: यह बताता है कि कंपनी के पास अपने short-term debts चुकाने के लिए कितनी current assets हैं। Formula: Current Ratio = Current Liabilities / Current Assets
क्विक रेशियो (Quick Ratio):
Quick Ratio को हम Acid Test Ratio भी कहते है यह रेश्यो Current Ratio से ज़्यादा accurate है क्योंकि इसमें Inventory (स्टॉक) को हटा दिया जाता है। क्यों की स्टॉक तुरंत cash में convert नहीं होता। इसका फार्मूला है

Profitability Ratios
यह रेश्यो हमें यह बताता है की कोई कंपनी अपने बिज़नेस से कितना मुनाफ़ा (Profit) कमा रही है। मतलब ये Ratios कंपनी की कमाई की क्षमता (Earning Capacity) को मापते हैं। मुख्य रूप से Profitability Ratios 4 प्रकार के होतें है |
1. Gross Profit Margin
यह Ratio बताता है कि कंपनी ने अपनी बिक्री (Sales) से Cost of Goods Sold (COGS) निकालकर कितना Gross Profit कमाया।
उदाहरण: अगर कंपनी की Sales ₹5,00,000 और COGS ₹3,50,000 है, तो Gross Profit ₹1,50,000 होगा। यानी Gross Profit Margin = 30%, मतलब हर ₹100 की बिक्री पर ₹30 का मुनाफ़ा।

2. Net Profit Margin:
यह रेश्यो कंपनी के सभी खर्चे (जैसे Operating Expenses, Interest, Tax) निकालने के बाद कंपनी को कुल sales / Revenue से कितना Net Profit हुआ।

उदाहरण: यदि Sales ₹5,00,000 और Net Profit ₹50,000 है, तो Net Profit Margin = 10%, यानी हर ₹100 की बिक्री पर कंपनी ₹10 का शुद्ध लाभ कमा रही है।
3. Return on Assets (ROA)
ROA बताता है कि कंपनी अपने कुल Assets (संपत्ति) से कितना मुनाफ़ा (Profit) कमा रही है।

उदाहरण: यदि कंपनी का Net Profit ₹1,00,000 और Total Assets ₹8,00,000 हैं, तो ROA = 12.5%, यानी हर ₹100 के assets से ₹12.5 का फायदा मिल रहा है।
4. Return on Equity (ROE)
ये ROE रेश्यो बताता है कि कंपनी अपने Shareholders’ Equity (Owners’ Capital) से कितना मुनाफ़ा कमा रही है।
निवेशकों Investors के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण ratio है। 15% – 25% या ज्यादा ROE = निवेशकों के लिए बेहतर रिटर्न और Ideal Range माना जाता है |

उदाहरण: यदि Net Profit ₹1,00,000 और Shareholders’ Equity ₹4,00,000 है, तो ROE = 25%, यानी हर ₹100 निवेश पर ₹25 का return मिल रहा है।
Solvency Ratios
Solvency Ratios यह बताता है कि कंपनी लंबे समय तक अपने कर्ज़ (long-term debts) चुका सकती है या नहीं। ये ratios कंपनी की financial stability और risk level दोनों को बताता हैं। ये 2 प्रकार के होतें है |
1. Debt to Equity Ratio
यह ratio बताता है कि कंपनी अपने बिज़नेस को चलाने के लिए कितना पैसा कर्ज़ (Debt) से और कितना पैसा मालिक/शेयरहोल्डर्स (Equity) से लगा रही है। मतलब कंपनी के पास equity के मुकाबले कितना कर्ज़ है यह दर्शाता है |

2. Interest Coverage Ratio
Interest Coverage Ratio बताता है कि कंपनी अपनी कमाई (Earnings before Interest & Tax – EBIT) से कितनी बार अपने Interest को आसानी से चुका सकती है। सीधे शब्दों में कंपनी अपनी कमाई से interest कितनी आसानी से चुका सकती है।

Valuation Ratios
ये ऐसे फाइनेंसियल रेश्यो होते है जो यह बताते हैं कि किसी कंपनी का शेयर (Stock/Equity) निवेशकों के लिए महँगा है या सस्ता। इससे हमें कंपनी के शेयर की वास्तविक कीमत (Fair Value) क्या है यह पता चलता है | यानि किसी कंपनी का शेयर Overvalued (बहुत महँगा) है या Undervalued (सस्ता) यह दर्शाता है |
1. Earnings Per Share (EPS)
EPS यह बताता है कि कंपनी का हर एक शेयर कितनी कमाई (Profit) ला रहा है। ध्यान रहें की EPS जितना ज़्यादा होगा, शेयर उतना attractive माना जाता है।
2. Price to Earnings Ratio (P/E Ratio)
P/E Ratio ratio बताता है कि निवेशक कंपनी की कमाई के हर ₹1 के लिए कितने रुपए देने को तैयार हैं।
- High P/E का मतलब निवेशक company से future growth की उम्मीद कर रहे हैं।
- Low P/E का मतलब शेयर undervalued हो सकता है।
3. Price to Book Value Ratio (P/B Ratio)
P/B रेश्यो बताता है कि कंपनी का शेयर उसकी book value (Net worth) की तुलना में कितना महँगा या सस्ता है। अगर
- P/B < 1 (एक से कम) = शेयर undervalued
- P/B > 1 (एक से ज्यादा) = शेयर premium पर trade हो रहा है
4. Dividend Yield Ratio
डिविडेंड यील्ड रेश्यो बताता है कि निवेशक को शेयर पर dividend के रूप में कितनी % return मिल रही है।
5. Earnings Yield Ratio
Earnings Yield Ratio यह बताता है कि किसी कंपनी के शेयर की मौजूदा कीमत (Market Price) पर आपको कितनी कमाई (Earnings) मिल रही है।
उदाहरण के लिए: Infosys का शेयर प्राइस ₹1,500 है और EPS (Earnings per Share) ₹75 है। तो अपना Earnings Yield होगा = 75 ÷ 1500 × 100 = 5%
तो इसका मतलब हुआ कि Infosys हर साल अपने शेयर प्राइस के मुकाबले 5% की कमाई जेनरेट कर रही है।
Ratio Analysis और Fundamental Analysis में क्या अंतर है ?
Ratio Analysis:
रेश्यो एनालिसिस Fundamental Analysis का एक पार्ट है जो केवल नंबरों/figures पर आधारित होता है। इसमें हम कंपनी के financial ratios (जैसे Current Ratio, Profit Margin, ROE, Debt to Equity आदि) को निकालकर देखते हैं। इसका मकसद है कंपनी की liquidity, profitability, efficiency और solvency को मापना है |
Fundamental Analysis: इसमें सिर्फ ratio नहीं, बल्कि कंपनी का business model, management, industry growth, future plans सब देखा जाता है।
असान शब्दों में कहें तो Fundamental Analysis → पूरी financial + business + future growth potential की जांच (invest करने का बड़ा decision लेने का तरीका)।
Conclusion (निष्कर्ष)
Ratio Analysis से किसी कंपनी के Financial Statements (जैसे Balance Sheet और Profit & Loss Account) से अलग-अलग आंकड़ों (figures) की तुलना करके Ratios बनाई जाती हैं। इससे हमें कंपनी मुनाफ़, देनदारियाँ (Liabilities), Assets का कुशलता (Efficiency) से इस्तमाल देखने के लिए और अलग – अलग कंपनी का तुलना करने के लिए किया जाता है |
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Ratio Analysis क्या है?
Ratio Analysis एक ऐसा फाइनेंसियल टूल है जिससे किसी कंपनी की बैलेंस शीट और P&L स्टेटमेंट से निकले ratios की मदद से उसकी financial स्थिति और performance को मापता है।
Ratio Analysis क्यों जरूरी है?
यह हमें बताता है कि कंपनी कितनी लाभदायक (profitable) है, उसके पास कर्ज़ चुकाने की क्षमता कितनी है और वह अपने resources का कितना सही उपयोग कर रही है।
Ratio Analysis किन-किन लोगों के लिए फायदेमंद है?
रेश्यो एनालिसिस मुख्य रूप से :-
Investors (निवेशक): जानने के लिए कि कंपनी invest करने लायक है या नहीं।
Bankers: लोन देने से पहले कंपनी की credibility देखने के लिए।
Management: अपने business performance को improve करने के लिए।
Ratio Analysis के कितने प्रकार होते हैं?
Ratio Analysis मुख्य रूप से 4 प्रकार होते हैं:-
Liquidity Ratios
Profitability Ratios
Solvency Ratios
Efficiency Ratios
Ratio Analysis और Fundamental Analysis में क्या फर्क है ?
Ratio Analysis सिर्फ numbers और financial statement पर आधारित होता है, जबकि Fundamental Analysis कंपनी की financial + management + industry + economy सब कुछ मिलाकर study करता है।
क्या Ratio Analysis से future performance पता चल सकता है?
हाँ, लेकिन सीधे रूप से सीधे नहीं बताता केवल Past और present ratios देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कंपनी का प्रदर्शन future में स्थिर रहेगा या नहीं।